Saturday, April 20, 2024
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दुनिया की सबसे विशाल घड़ी – वृहद सम्राट यंत्र – जंतर मंतर जयपुर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

जयपुर जंतर मंतर -  नाड़ी वलय यंत्र

वैसे तो देश में पाँच जंतर मंतर हैं। पर इनमें जयपुर का जंतर मंतर सबसे विशाल है। अपनी विशालता और विशेषताओं के कारण ही इसे दुनिया के विश्व दाय स्मारकों की सूची मे स्थान मिल सका है। सवाई जय सिंह ने देश में कुल पाँच शहरों में जंतर मंतर का निर्माण कराया।

क्या गुल खिलायेगी कांग्रेस की अँगड़ाई

संदीप त्रिपाठी :

उत्तर प्रदेश पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुका है। कांग्रेस ने हिंदी हृदय प्रदेश में अपना अस्तित्व बचाने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा झोंक दी है। इस क्रम में बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने रोड शो किया। यह कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की स्टाइल है। शिखर पर जाना है तो सबसे मजबूत से लड़ो। नि:संदेह उत्तर प्रदेश से अगर प्रधानमंत्री हैं और लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने इस सूबे की 80 में से 73 (भाजपा-71, अपना दल-2) सीटों पर कब्जा किया हो तो प्रधानमंत्री की सीट शक्ति की सबसे बड़ी प्रतीक तो मानी ही जायेगी।

कविगुरु एक्सप्रेस से महामना एक्सप्रेस तक

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के नाम पर 22 जनवरी 2016 से वाराणसी और दिल्ली के बीच नई ट्रेन महामना एक्सप्रेस चलायी गयी है। संयोग है कि इस ट्रेन का संचालन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने के मौके पर किया जा रहा है। विश्वविद्यालय की स्थापना 4 फरवरी 1916 को हुई थी।

अभय मुद्रा में 80 फीट के गौतम बुद्ध

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

साल 2011 में सारनाथ में एक और आकर्षण जुड़ गया है, वह है विशाल बुद्ध प्रतिमा। वाराणसी के पास स्थित दर्शनीय स्थल सारनाथ में वैसे तो सैलानियों कई आकर्षण है। सारनाथ के इतिहास में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है। अब जब आप सारनाथ जाएँगे तो वहाँ भगवान बुद्ध की चलायमान अभय मुद्रा में बनी देश की सबसे ऊँची लगभग 80 फीट प्रतिमा देखने को मिलेगी। हालाँकि सारनाथ में पहले से ही बुद्ध की प्रतिमा है लेकिन बुद्ध की चलायमान प्रतिमा अनूठी है।

डारया की मनुष्यता बनारस का दिल जीत ले गयी

प्रेम प्रकाश :

डारया यूरिएवा प्रोकीना...! यही नाम है उस रूसी लड़की का जो पिछले छह महीने से भारत भ्रमण पर थी। बनारस मे उसकी दोस्ती सिद्धार्थ श्रीवास्तव से हुई और वह उसी के साथ बनारस घूमने लगी। नजदीकियाँ बढ़ीं। दोनों की दोस्ती प्रगाढ़ होने लगी और इतनी प्रगाढ़ हो गयी कि डारया ठहरने के लिए होटल छोड़ कर सिद्धार्थ के घर चली आयी। इस बीच वे साथ-साथ घूमते रहे और नजदीक आते गये।

भीड़ के पीछे दूल्हा चलता है, सेनापति तो आगे चलता है

रत्नाकर त्रिपाठी : 

बनारस की सड़क पर इतना बड़ा जमावड़ा देखे मुद्दत हो गयी थी। अद्भुत दृश्य था, अगर ये मेला होता, तो इसे बनारस की नाग-नथैया और नाटी-इमली के भरत-मिलाप की तरह लक्खा मेले का दर्जा मिल जाता। माँ गंगा की गोद में मूर्ति विसर्जन की माँग लेकर आबाल-वृद्ध सड़क पर थे। भीड़ की खूबसूरती ये थी कि 80 % लोग एक-दूसरे को जानते नहीं थे, लेकिन 'एक मांग-एक धुन', उन्हें आपस में माला के मोतियों की तरह पिरोये हुई थी।

वेधशाला है मान मंदिर महल

विद्युत प्रकाश : 

वाराणसी में दशाश्वमेध घाट के ठीक बगल में स्थित है मान मंदिर महल। ये महल वास्तव में एक वेधशाला है। दिल्ली के जंतर मंतर की तरह। इस महल के साथ ही है मान मंदिर घाट। वहीं मान मंदिर महल की खिड़कियों से गंगा की लहरों का नजारा भी किया जा सकता है।

आपका क्या होगा जनाबे आली

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :

"मैं बिहार से आया हूँ। आप का प्रचार करने। सर किराये पर कमरा लेने गया तो पूछा किस लिए चाहिए। मैंने सही बता दिया कि अरविंद केजरीवाल का प्रचार करने आया हूँ।

बिस्मिल्लाह का बनारस

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :

आदरणीय खां साहब,

सोचा आपको एक खत लिखूँ। मैं आपकी मजार पर गया था। सहयोगी अजय सिंह की वजह से। अजय ने कहा कि वो मुझे कुछ याद दिलाना चाहते हैं। थोड़ी देर के लिए बिस्मिल्लाह खान की मजार पर ले चलते हैं।

क्या वाकई इकतरफा चुनाव होगा बनारस में?

पीयूष श्रीवास्तव, पत्रकार :

भगवा टोपी, सफेद टोपी, लाल टोपी... जिधर देखो टोपी ही टोपी। न टोपी पहनने वालों की कमी, न ही टोपी पहनाने वालों की कमी। हालत यह है कि जिसे देखो वही टोपी पहनने की होड़ में है।

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