Thursday, April 18, 2024
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प्रचंड जनादेश का ईवीएम की ओट में अपमान मत कीजिए

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

ईवीएम मशीन पर छेड़छाड़ का आरोप यूपी, उत्तराखंड के जनादेश का क्या अपमान नहीं ? विरोध करने वाले वही हैं जो देश में वर्षों से लूटखसोट में लिप्त रहे हैं। अपना भाड़ सा मुँह खोल कर हर दिन कांग्रेस की टीआरपी गिराने वाले दिग्गी

समाजवादी गठबंधन को धूल चटाने को बीजेपी-बीएसपी बना सकती है हिडेन एलायंस!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

समाजवादी+कांग्रेस गठबंधन से यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में इस बार मतदाताओं के पास जाति और धर्म से अलग जा कर मतदान करने का विकल्प सीमित या समाप्त हो गया है। विकास का नारा सिर्फ नारा रहेगा, लेकिन मतदान करने के लिये जाति और धर्म ही सबसे बड़ा इशारा रहेगा।

मंत्रिमंडल विस्तार के लिए यूपी का दाँव

संदीप त्रिपाठी :

मोदी कैबिनेट के मंगलवार की सुबह 11 बजे होने वाले विस्तार के लिए सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश चेहरों की है। आइये, देखते हैं विभिन्न वेबसाइटों में क्या-क्या चर्चा चल रही है

मिशन यूपी 2017 : भाजपा के लिए खुद में झांकने का समय

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

यह कहने में शायद ही किसी को हिचक होगी कि एक हजार साल बाद देश में वह राज आया है, जहाँ सत्ता का शिखर पुरुष छद्म धर्मनिरपेक्षता का स्वांग नहीं करता और ' सबका साथ सबका विकास' के मंत्र का जाप करने के बावजूद भारतीय संस्कृति को बेखौफ ओढ़ता है। देश की विरासत और धरोहरों को सर-आँखों पर रखते हुए अनथक देश की दशा और दिशा बदलने में सतत प्रयत्नशील है। जिस सिस्टम को 15 अगस्त 1947 में बदल जाना चाहिए था, उसको जिन लोगों ने अपने फायदे के लिए बरकरार रखा और लालची मीडिया को अपने पाले में रखते हुए जिन्होंने भ्रष्टाचार को लूटपाट में बदल दिया। उस विकृत हो चुकी व्यवस्था को बदलने की प्रक्रिया की भी देश ने विगत दो वर्षों के दौरान शुरुआत होते देखा।

हर ‘आम’ में है कुछ खास

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

आम फलों का राजा है। आम सिर्फ स्वाद में ही बेहतर नहीं है बल्कि यह अनेक गुणों का खजाना है।

यूपी में डगमगाती बीजेपी की नैय्या

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी : 

हर चुनाव से पहले देश के सबसे राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर बढ़-चढ़ कर दावे किए जाते हैं।

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शमशेरा : हिंदू घृणा और वामपंथी एजेंडा से भरी फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया

शमशेरा हिंदू घृणा से सनी ऐसी फिल्म है, जिसका साहित्य में परीक्षण हुआ, जैसा कि फर्स्ट पोस्ट आदि पर आयी समीक्षाओं से पता चलता है, और फिर बाद में परदे पर उतारा गया। परंतु जैसे साहित्य में फर्जी विमर्श को रद्दी में फेंक कर जनता ने नरेंद्र कोहली को सिरमौर चुना था, वैसे ही अब उसने आरआरआर एवं कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों को चुन लिया है और शमशेरा को गड्ढे में फेंक दिया है!

नेशनल हेराल्ड मामले का फैसला आ सकता है लोकसभा चुनाव से पहले

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