Friday, April 19, 2024
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जैसलमेर की शान – सोनार किला

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:  

मशहूर बांग्ला फिल्मकार सत्यजीत रे ने एक फिल्म बनायी थी सोनार किला। 1974 में रीलिज यह फिल्म बंगाली मानुष के बीच खूब लोकप्रिय हुई। यह 1971 के एक उपन्यास पर बनी फिल्म थी।

चंपावती के नाम पर पड़ा चंबा शहर का नाम

चंपावती के नाम पर पड़ा चंबा शहर का नाम

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

विख्यात कलापारखी और डच विद्वान डॉ. बोगल ने चम्बा को 'अचंभा' कहा था। उन्होंने यू हीं शहर को अचंभा नहीं कहा था। यहां के मंदिर कला संस्कृति में विविधता को देखते हुए उन्होंने अनायास ही यह उपाधि दे डाली थी। वैसे चंबा शहर का नाम चंबा के राजा के बेटी चंपावती के नाम पर पड़ा था।

काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा खतरे में, सरकार नींद से कब जागेगी?

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

मैं काशी विश्वनाथ मंदिर से बमुश्किल पचास मीटर की दूरी पर रहता हूँ, लाहौरी टोला मोहल्ले में। मेरे पैतृक आवास के बाँयीं ओर पचास मीटर की दूरी पर स्थित है ललिता घाट उसके बाएँ है महा श्मशान मणिकर्णिका और दाएँ है मीर घाट और ये तीनों ही गंगा घाट विश्वनाथ मंदिर से जुड़े हुए हैं, जिनमें ललिता घाट से तो सीधा और निकटतम रास्ता है बाबा के स्वर्ण मंदिर तक पहुँचने का।

विजयवाड़ा का कनक दुर्गा मंदिर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

कनक दुर्गा का भव्य मंदिर विजयवाड़ा शहर के बीचों बीच पहाड़ी पर है। तिरूपति के बाद यह आंध्र प्रदेश के भव्य मंदिरों में से एक है। यहाँ पर सालों भर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

लेटे हुए हनुमान जी यानी भद्र मारूति

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

देश में बजरंग बली के लाखों मंदिर होंगे, पर इनमें खुल्ताबाद का भद्र मारुति मंदिर काफी अलग है। एलोरा गुफाओं के बाद हमारा अगला पड़ाव था भद्र मारूति। खुल्ताबाद गाँव में स्थित इस मंदिर में लेटे हुए हनुमान जी की विशाल प्रतिमा है। इस तरह के लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा देश में सिर्फ इलाहाबाद में हैं। एलोरा से भद्रा मारूति की दूरी तीन किलोमीटर है।

यदाद्रि के बाला जी – श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद 2014 में तेलंगाना नया राज्य बना। पर देश का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध तिरूपति बाला जी का मंदिर अब आंध्र प्रदेश में रह गया। तब तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद से 62 किलोमीटर दूरी पर स्थित यदाद्रि के विष्णु मंदिर को भव्य रूप प्रदान करने का संकल्प लिया है। मंदिर का नाम श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी वारी देवस्थानम है। मंदिर का पुराना नाम यादगिरी गट्टा था पर अब इसे छोटे नाम यदाद्रि के नाम से जाना जाता है। यहाँ विष्णु का मंदिर पहाड़ियों पर स्थित है। खास तौर पर रात में मंदिर क्षेत्र की खूबसूरती देखते ही बनती है। 

भेंट द्वारका में हुआ कृष्ण और सुदामा का मिलन

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

भेंट द्वारका नगरी द्वारका से 35 किलोमीटर आगे है। यहाँ कृष्ण का अति प्राचीन मंदिर है। भेंट द्वारका इसलिए क्योंकि यहीं पर कृष्ण की अपने बाल सखा सुदामा से भेंट हुई थी। दरिद्र ब्राह्मण सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर अपने बचपन के मित्र और द्वारका के राजा कृष्ण के पास पहुँचे थे। यहाँ भी ऐतिहासिक द्वारकाधीश का मंदिर है।

दक्षिण की काशी कांचीपुरम – मंदिरों का शहर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

कांची और काशी में कोई समानता है। है ना। तो कांचीपुरम यानी दक्षिण की काशी। जैसे काशी में ढेर सारे मंदिर हैं ठीक उसी तरह कांचीपुरम में भी मंदिर ही मंदिर हैं। चेन्नई सेंट्रल से कांचीपुरम की दूरी 80 किलोमीटर है। यहाँ से ट्रेन या बस से जाया जा सकता है। पर सुगम तरीका लोकल ट्रेन है। सस्ती भी अरामदेह भी। चूँकि हम चेन्नई के तांब्रम इलाके में ठहरे थे तो वहाँ से कांचीपुरम 67 किलोमीटर ही था। तांब्रम रेलवे स्टेशन भी वैसे कांचीपुरम जिले में ही आता है। मानो आधा चेन्नई शहर कांचीपुरम जिले में है। 

श्रीरंगपट्टनम का रंगनाथस्वामी मंदिर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

वैसे तो श्रीरंगपट्टनम को टीपू सुल्तान के शहर के तौर पर जाना जाता है। लेकिन टीपू सुल्तान के महल के अवशेषों के बीच स्थित रंगनाथ स्वामी मंदिर का इतिहास और भी पुराना है। इस शहर का नाम ही रंगनाथ स्वामी के नाम पर पड़ा है। श्रीरंगपट्टनम मैसूर शहर से महज 19 किलोमीटर आगे बंगलुरु के रास्ते पर है। ऐतिहासिकता की दृष्टि से श्रीरंग पट्टनम दक्षिण भारत का महत्वपूर्ण स्थल है जो मध्य तमिल सभ्यताओं के केन्द्र बिन्दु के रूप में स्थापित था। कावेरी नदी के तट पर स्थित यह शहर इतिहास के कई कालखंड में काफी उन्नत शहर था।

इरूंबाई के महाकालेश्वर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

पुडुचेरी के पास इरुंबाई गाँव में शांत वातावरण में महादेव शिव का अदभुत मंदिर है। इसे तमिल लोग महाकालेश्वर के नाम से जानते हैं। इस शिव मंदिर को 2,000 साल से ज्यादा पुराना माना जाता है। मंदिर की कथा कई तमिल कविओं और संतों से जुड़ी हुई है।

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