Saturday, April 20, 2024
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नेताजी (मुलायम) की जंग

सुशांत झा, पत्रकार :

मुलायम सिंह ने अपने हस्तलिखित पत्र से अमर सिंह को सपा का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। मुलायम सिंह ऐसे पहलवान हैं जिनका अगला दाँव भगवान को भी मालूम नहीं होगा। 

‘प्रेतलेखन’ और अनुवाद

सुशांत झा, पत्रकार :

मेरे एक मित्र ने पूछा कि 'प्रेत लेखन'(Ghost writing) की क्या कीमत होनी चाहिए? मैंने कहा, "प्रेत किसका है?" वो मुस्कुराया। मैंने कहा कि तुम्हारी मुस्कुराहट बताती है कि प्रेत मालदार है और अपना आदमी है।

ये जंगलराज नहीं है, ये पॉवर सेंटर का ‘बिखराव’ है

सुशांत झा, पत्रकार :

नीतीश कुमार की कानून-व्यवस्था को लेकर प्रतिबद्धता पर व्यक्तिगत रूप से मुझे कोई संदेह नहीं है। उन्होंने पिछले एक दशक में बिहार को ठीक-ठाक पटरी पर लाया है। लेकिन सीवान के पत्रकार की हत्या पर मेरी कुछ अलग राय है।

प्यार की शब्दावली बनाम हिंदी फिल्म

सुशांत झा, पत्रकार :

हिंदी फिल्मों में प्रेमी-प्रेमिकाएँ एक दूसरे को जिस संबोधन से कम से कम गानों में पुकारते हैं, रीयल लाइफ में उसका कितना रिफ्लेक्शन है?

बर्थडे पर खास : सर्वहारा हनुमान

सुशांत झा, पत्रकार :

आज बजरंग बली का बर्थ डे है। सभी भक्तों को बधाई और कॉमरेडों से सहानुभूति। वैसे देखा जाए तो हनुमान जी रामजी के सेवक थे, तो ऐसे में वे सर्वहारा हुए। कम्युनिस्टों को अभी तक क्लेम कर देना चाहिए था। कम से कम हनुमान भक्तों के एक विशाल तबके को वो अपनी तरफ खींच सकते थे।

JNU में वामपंथियों की देश विरोधी करतूत

सुशांत झा, पत्रकार :

हाफिज़ सईद के JNU के कॉमरेडों को समर्थन देने की खबर IBN की साइट ने लगायी थी, बाद में जनसत्ता ने भी लगा दी। खबर का आधार संदेहास्पद था, IBN ने हटा दी। पहले Saurabh Dwivedi ने मुझे इनबॉक्स में इशारा किया, तब तक मैं उसे शेयर कर चुका था।

बलात्कारी को कौन रोकेगा?

सुशांत झा, पत्रकार :

निर्भया मामले में बाल अपराधी की उम्र को लेकर बहस हो रही है, मेरे ख्याल से इसे कम करने की जरूरत है। कम से कम बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में तो जरूर। 18 साल सरकार चुनने की उम्र तो हो सकती है, लेकिन बलात्कार या हत्या के प्रति अनभिज्ञ रहने की नहीं। इस सूचना विस्फोट के युग में 18 साल की उम्र में कोई व्यक्ति वैसा बालक भी नहीं रहता-जी हाँ वो गरीब का बच्चा भी नहीं जिसके बारे में कई लोग कह रहे हैं कि गरीबी और जहालत के हालात ने उसे बलात्कार करने पर मजबूर किया होगा। मुझे लगता है कि किसी गरीब या अनपढ़ का इससे बड़ा अपमान क्या होगा? 

अपेक्षित बनाम उपेक्षित

सुशांत झा, पत्रकार : 

आधे से ज्यादा पत्रकारों और करीब 80% पब्लिक को पूछा जाए कि अपेक्षित और उपेक्षित में क्या फर्क है तो दाँत निपोड़ देंगे, लेकिन लालू के कुमार ने कह दिया तो मजे ले रहे हैं। 

बिहार चुनाव : एक दृष्टिकोण

सुशांत झा, पत्रकार : 

कई बार पोस्ट की टिप्पणियाँ पोस्ट की नानी साबित होती हैं! मेरे पिछले पोस्ट पर एक टिप्पणी आयी कि बिहार में जो भी सरकार बनेगी वो एक कमजोर सरकार होगी लेकिन विपक्ष मजबूत होगा। ऐसा हो सकता है।

दुर्गा पूजा@ मेरा गांव

सुशांत झा, पत्रकार :

पता नहीं कितने साल हुए दुर्गा पूजा में गाँव गये हुए। हमारे यहाँ दशहरा नहीं बोलते हैं, दुर्गा पूजा या नवरात्रा बोलते थे। हद से हद दशमी। कलश स्थापन से ही पूजा शुरू। बेल-नोती और बेल तोड़ी..फिर बलि-प्रदान, मेला। 

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