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औरंगजेब में काहे रब दिखता है?
रत्नाकर त्रिपाठी :
अमें, कान पक गया विलाप सुनते-सुनते; ऐसे बुक्का फाड़-फाड़ कर रो रहे हो, जैसे तुम्हरे अब्बा का इंतकाल हो गया; सड़क का नाम ही न बदला है, कोई औरंगजेब का धर्मांतरण थोड़े ही हो गया जो छाती पीटे जा रहे हो। ओवैसी मुँह पिटाय पड़े हैं, एक्को मुसलमान टस से मस नहीं हुआ; लेकिन तुम्हरी स्थिति तो ऐसी है, जैसे सारा पहाड़ तुम्हरे ऊपर टूट पड़ा है।
जेएनयू ने देश को क्या दिया?
दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :
हारवर्ड और एमआईटी (MIT) बोस्टन विश्व विद्यालयों ने अमेरिका को अमेरिका बनाया। ऑक्सफोर्ड और केम्ब्रिज ने ब्रिटेन को नयी बुलंदिया दी। एएमयू (AMU)/ बीएचयू (BHU), मद्रास, बाम्बे और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पर भी हमें कभी नाज था।
बनारस का विरोध रस
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
बनारस इस चुनाव का मनोरंजन केंद्र बन गया है। बनारस से ऐसा क्या नतीजा आने वाला है जिसे लेकर कृत्रिम उत्सुकता पैदा की जा रही है।
जोर से बोलो तो जमाना सुनेगा
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
नफासत का ओढ़ा हुआ पुलिंदा लग रहा था। शख्स की ज़ुबान से नाम ऐसे छलक रहे थे जैसे महल की सीढ़ियों से शख्सियतें उतर रही हों।