Thursday, March 28, 2024
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कमाई में सफेदी की दरकार

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

बहुत तेज बर्फबारी और कड़ाके की ठंड के बीच मैं अमेरिका के बफैलो एयरपोर्ट पर खड़ा था। मुझे वहाँ से फ्लोरिडा जाना था। आमतौर पर हम कहीं भी आते-जाते हैं तो पहले से विमान का टिकट खरीद चुके होते हैं, होटल और टैक्सी वगैरह की बुकिंग करा चुके होते हैं।

रात के अंधेरे में जो करते हैं, वही हमें एक दिन उजाले में लाता है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

एक नौजवान हर रात देर तक स्विमिंग पूल में तैरने का अभ्यास करता है। जब सारी दुनिया सो रही होती है, वो अंधेरे में अभ्यास कर रहा होता है। 

भारत में लॉन्च हुई सबसे सस्ती बाइक

देश मंथन डेस्क :

अमेरिका की लक्जरी मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी इंडियन मोटरसाइकिल ने स्काउट 60 बाइक को भारतीय बाजार में उतारा है।

गाड़ी सायरन बजाते गुजरे तो मानव धर्म का निर्वाह करें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मैं अमेरिका के डेनवर शहर में था। वही डेनवर शहर, जहाँ शादी के बाद अपनी धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित भी रहती थीं।

माधुरी दीक्षित बेशक वहीं रहती थीं, पर आज मैं कहानी माधुरी दीक्षित की नहीं सुनाने जा रहा। आज मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, उसे सुन कर आप सोचने लगेंगे कि क्या सचमुच ऐसा होता है? पर क्योंकि मैं इस कहानी का चश्मदीद हूँ, इसलिए आप मेरी बात पर यकीन कीजिएगा कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूँ, उसका एक-एक अक्षर सत्य है। क्योंकि यह कहानी आदमी की जिन्दगी से जुड़ी है, इसलिए आप इसे अधिक से अधिक लोगों तक साझा कीजिएगा। जितने लोगों को ये कहानी पता चलेगी, उतना फायदा हम सबका होगा।

अपने पँखों पर भरोसा रखिए

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

एक नौजवान हाथ में शीशे की गिलास लेकर लोगों से पूछ रहा था कि क्या मुझे कोई बता सकता है कि इसे किसने बनाया? लोग उसके सवाल को नहीं समझ पा रहे थे कि वो ऐसा क्यों पूछ रहा है। पर किसी ने कहा कि इसे आदमी ने बनाया है। नौजवान हँसा और फिर उसने पूछा कि आपने जो कपड़े पहन रखे हैं, क्या आप जानते हैं उन्हें किसने बनाया है? 

गरम हवाओं ने पूरब की शीतलता में उष्णता भर दी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

“गरम हवाओं ने पूरब की शीतलता में कब और कैसे उष्णता भर दी, हम देखते रह गये…”

मैंने कल यहाँ फेसबुक पर अपनी पोस्ट में लिखा था कि कैसे मैं रेडियो मिर्ची के एक शो में गया, तो रेडियो जॉकी शशि ने मुझे बताया कि एक बुजुर्ग दंपति, जिनके तीनों बच्चे अमेरिका में सेटल हो गये हैं, पटना में अकेले जिन्दगी गुजार रहे हैं।

आगे बढ़ते हम, पीछे छूटते अपने

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मेरे पड़ोस वाली रेखा दीदी की शादी मेरी जानकारी में सबसे पहले चाँद के पास वाले ग्रह के एक प्राणी से हुई थी।

थ्रिल जिंदगी में तलाश करें, मौत में नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

 “कुछ हिल रहा है। लग रहा है चक्कर आ रहा है। अरे ये देखो ऊपर लटका पंखा भी हिल रहा है। हाँ, हाँ दीवार पर टंगी फोटो भी हिल रही है। भागो, भूकम्प आया है।” हमारे देश में भूकम्प का इतना अनुभव सबके पास है। उसके बाद शुरू होता है टीवी पर खबरों का खेल। पानी की हिलती हुई बोतल, हिलता हुआ पंखा, भागते हुए लोगों को दिखाने की होड़ मच जाती है। कुछ देर में हमारे पास भूकम्प से जुड़ी तस्वीरें आने लगती हैं और हम दिखाने लगते हैं, गिरी हुई इमारतें, उसमें फंसे हुए लोग, मलबों में दबे हुए लोग, चीख-पुकार, करुण-क्रंदन। 

कल नेपाल और भारत में भूकम्प से धरती हिली। वही सब हुआ, जिसे मैंने बयाँ किया है।

पंद्रह साल पहले गुजरात में ऐसा ही भूकम्प आया था। तब मैं जी न्यूज में रिपोर्टर था।

कब आयेगा बदलाव

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

कल मुझे मेरी सोसायटी का माली मिल गया। उसके हाथों में ढेरों किताबें थीं। दुआ सलाम के बाद उसने मुझसे बीस हजार रुपये बतौर उधार मांगे। 

जाहिर है मेरी जिज्ञासा ये जानने में थी कि आखिर अचानक इतने रुपयों की उसे क्या जरूरत आ पड़ी।

जैसा संस्कार दोगे वैसा पाओगे

संजय सिन्हा : 

पता नहीं फेसबुक पर किसने लिखा, लेकिन जिसने भी लिखा ये चुटकुला नहीं था और अगर ये चुटकुला था तो बेहद मार्मिक था।

लिखने वाले ने तो लिख दिया कि एक बूढ़ा आदमी अपने फोन को लेकर बाजार में गया, ये दिखाने के लिए कि उसके फोन में क्या खराबी है, ये पता चल जाए।

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