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दुर्गयाणा मंदिर में नन्हे लंगूर
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(पहियों पर जिंदगी 21 )
18 अक्तूबर 1993 - रात्रि एक बजे हमारी ट्रेन अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुँच चुकी थी। सुब्बराव जी के स्वागत में रेलवे के डीआरएम और अन्य अधिकारी पहुँचे।
उपहार में मिला स्वेटर
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(पहियों पर जिंदगी 17)
15 अक्तूबर 1993 – सुबह हमारी सदभावना साइकिल रैली लुधियाना के विभिन्न बाजारों से होती हुई मल्टी परपस विद्यालय पहुँची। दोपहर का कार्यक्रम यहीं हुआ।
भारत का मैनेचेस्टर लुधियाना
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(पहियों पर जिंदगी 16)
14 अक्तूबर 1993 – लुधियाना। मंडी गोबिंदगढ़ से ट्रेन रात को 10 बजे चल पड़ी। थोड़ी देर में पंजाब का सबसे बड़ा शहर लुधियाना आ गया।
लोहा मंडी यानी मंडी गोबिंद गढ़
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(पहियों पर जिंदगी 15)
13 अक्तूबर 1993 – दोपहर के भोजन के बाद हमारी ट्रेन नंगल से आगे बढ़ गयी। ट्रेन दिन में एक शहर से दूसरे शहर का सफर कम ही करती है। पर आज थोड़ी सी यात्रा दिन में ही है।
चंबल की जीवनधारा है श्योपुर पैसेंजर ट्रेन
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ग्वालियर से श्योपुर के बीच चलने वाली ये छोटी लाइन की ट्रेन इलाके लोगों की जीवन धारा है। ग्वालियर से चल कर 28 स्टेशनों से होकर गुजरने वाली ये ट्रेन इलाके 250 से ज्यादा गाँवों के लिए लाइफ लाइन है।
ये है देश की सबसे लंबी लाइट रेलवे
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मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र में चलती है देश की सबसे कम चौड़ाई वाली पटरी की स्पेशल गेज ट्रेन। इसकी दूसरी खास बात ये है कि ये देश की सबसे लंबी दूरी की लाइट रेलवे है जो अभी संचालन में हैं।
देश में पहली ट्राम सेवा मुंबई में
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देश की पहली ट्राम मुंबई में 1873 में परेल से कोलाबा के बीच चली थी। इस ट्राम को 6 से 8 घोड़े खींचा करते थे। मुंबई में ट्राम सेवा को खींचने के लिए 900 घोड़े अस्तबल में बहाल किए गये थे। बाद में ट्राम सेवा महाराष्ट्र के नासिक शहर में भी शुरू की गयी थी लेकिन ये 1933 में बंद कर दी गयी।
कभी दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती थी ट्राम
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आज भले ही दिल्ली में मेट्रो रेल का विशाल नेटवर्क है, पर कभी दिल्ली की सड़कों पर ट्राम दौड़ा करती थी। दिल्ली की सड़कों पर 1908 में पहली बार ट्राम दौड़ी थी। ब्रिटिश काल में तमाम बड़े शहरों में शहरी परिवहन के लिए ट्राम सेवा का चयन किया गया था।
महाराष्ट्र में चलती थी 326 किलोमीटर लंबी बारसी लाइट रेल
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पश्चिमी भारत में बारसी लाइट रेलवे अब अस्तित्व में नहीं है, पर ये किसी जमाने में 325 किलोमीटर लंबी नैरो गेज रेलवे लाइन हुआ करती थी। महाराष्ट्र में लातूर से मिराज के बीच रेलवे लाइन बनाने के लिए बारसी लाइट रेलवे (बीएलआर) नामक कंपनी की स्थापना लंदन में हुई।
काँगड़ा रेल – 933 पुल 484 मोड़ और 164 किलोमीटर का सफर
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काँगड़ा घाटी रेल लाइन की लंबाई 164 किलोमीटर है। काँगड़ा घाटी रेल रेल मार्ग में दो सुरंगें हैं। जिनमें से एक 250 फुट लंबी और दूसरी 1,000 फुट लंबी है। ट्रेन 2 फीट 6 इंच चौड़ाई वाले पटरियों पर कुलांचे भरती है। इस लाइन का सबसे ऊँचा प्वाइंट आहजू रेलवे स्टेशन पर है जो 3901 फीट ऊँचा है।