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काबिल, कर्मठ, ईमानदार की दुर्घटना
राजीव रंजन झा :
एक रेस्टोरेंट के ग्राहक बड़े नाखुश थे। खाना अच्छा नहीं था। वेटरों को तमीज नहीं थी। ऑर्डर देने के बाद खाना कब टेबल पर आयेगा मालूम ही नहीं पड़ता था। खाने के बीच में दो रोटी और मंगा ली तो शायद दोपहर से शाम भी हो जाये आते-आते। पर उस इलाके में कोई और रेस्टोरेंट था नहीं, इसलिए ग्राहकों को मजबूरी में वहीं खाना पड़ता था।
न्यू जलापाईगुड़ी में खड़ा मीटरगेज का स्टीम लोकोमोटिव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
लोगों को रेलवे के इतिहास से रूबरू कराने के लिए कई रेलवे स्टेशनों के बाहर पुराने लोकोमोटिव को सजा संवार कर प्रदर्शित किया गया है। न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के बाहर निकलने पर दाहिनी तरफ एक विशाल लोकोमोटिव आराम फरमाता हुआ दिखाई देता है। यह एक मीटर गेज नेटवर्क पर चलने वाला इंजन है। इंजन का नाम एमएडब्यूडी 1798 ( MAWD 1798) है। साल 1944 में निर्मित ये लोकोमोटिव अमेरिकी युद्ध के दौरान डिस्पोज किया गया स्टीम लोकोमोटिव है। इसका निर्माण ब्लाडविन लोकोमोटिव वर्क्स में किया गया था।
कब आएगा रेलवे मानचित्र पर गंगटोक…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
गगंटोक से वापस लौट रहा हूँ। देवराली से ही टैक्सी बुक करता हूँ। यहाँ से वापसी का टैक्सी का फिक्स किराया है 200 रुपये। पर टैक्सी भरने पर ही चलती है। कोई टाइमटेबल नहीं है। टाइम टेबल से सिक्किम रोडवेज की बसें चलती हैं। मिनी बसों में किराया 160 रुपये है। बसें भी सुरक्षित और आरामदायक हैं। पर उनका चलने का समय निश्चित है।
रेलवे की विरासत : मुजफ्फरपुर पहुँचा डेहरी-रोहतास का लोकोमोटिव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
कभी डेहरी रोहतास लाइट रेलवे की मातृ कंपनी रोहतास इंडस्ट्रीज लिमिटेड को अपनी सेवाएँ देने वाला लोकोमोटिव अब मुजफ्फरपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के बाहर शान से विराजमान है। ये लोकोमोटिव आते-जाते लोगों को स्टीम इंजन (भाप से चलने वाले) दौर की याद दिलाता है।
पनिया के जहाज से पलटनिया बनी अइह सैंया..
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पानी के जहाज पर पहला सफर भला कौन भूल सकता है। भोजपुरी में शारदा सिन्हा का लोकप्रिय गीत है...पनिया के जहाज से पलटनिया बनी अइह सैंया... तो पहले उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच पानी का जहाज ही चलता था।
विरासत की याद – काँगड़ा घाटी रेलवे का स्टीम लोकोमोटिव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
काँगड़ा के रेल में सेवा देने वाले स्टीम लोकोमोटिव में जेडएफ 107 की चर्चा महत्वपूर्ण है। यह नैरोगेज रेलवे सिस्टम का एक शक्तिशाली लोकोमोटिव था। काँगड़ा घाटी रेलवे को लंबे समय तक सेवाएँ देने वाला एक लोकोमोटिव इन दिनों नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पहाड़ गंज वाले निकास द्वार के पास आराम फरमा रहा है।
यात्रियों को लूटने के और भी तरीके हैं प्रभु जी
संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन :
प्लेटफॉर्म टिकट जब 30 पैसे का आता था, तब से ले कर अब, जब यह 10 रुपये में मिलेगा तब तक - बिहार के छोटे-बड़े स्टेशनों से लेकर दिल्ली, मुंबई,कोलकाता,चेन्नई सब जगह देख चुका हूँ।
रेल यात्री नहीं देख रहे कोई बदलाव
राजेश रपरिया :
रेल मंत्री सुरेश प्रभु की नींद आजकल उड़ी हुई है। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह कहते हैं कि केवल पेट्रोल डीजल के दामों में आयी गिरावट से हर परिवार को डेढ़ हजार से साढ़े चार हजार रुपये तक की बचत हुई है।
रेलवे को आधुनिक बनाना जरूरी : नरेंद्र तनेजा
नरेंद्र तनेजा, राष्ट्रीय संयोजक (ऊर्जा प्रकोष्ठ), भाजपा :
रेलवे के किराये-भाड़े आज से कुछ साल पहले बढ़ाये जाने चाहिए थे, लेकिन चुनाव और लोकप्रिय बजट आदि के मद्देनजर इसे लागू नहीं किया गया।
राहत देने के बदले महँगाई बढ़ाने वाला फैसला
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक, निवेश मंथन :
रेलवे के किराये अभी बढ़ाने का कोई अर्थ नहीं था। पूत के पाँव पालने में दिख रहे हैं। जनता ने इन्हें महँगाई के खिलाफ वोट दिया है। पर यह सरकार कांग्रेस की उन नीतियों से, जिनकी नींव मनमोहन सिंह ने 1991 में रखी थी, मुक्त नहीं हो पा रही है।