Thursday, April 18, 2024
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राकेश टिकैत का ढोल उनके घर में फट गया

जिन राजनीतिक दलों ने इसमें बढ़-चढ़ कर पीछे से हिस्सा लिया, पैसा दिया, खाने-पीने और आने-जाने का इंतजाम कराया, उन्हें लग रहा है कि यह सारी मेहनत बेकार गयी। यह जो सारा इंतजाम किया गया था, इसका मकसद था उत्तर प्रदेश के चुनाव को प्रभावित करना।

क्या एमसीडी चुनाव में फिर समर्पण करेगी कांग्रेस?

राजीव रंजन झा : 

दिल्ली के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने तश्तरी में रख कर अरविंद केजरीवाल को सत्ता परोस दी थी। 

एमसीडी चुनाव में हार का बहाना तैयार कर रहे हैं केजरीवाल?

राजीव रंजन झा : 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि चुनाव आयोग अब वापस कागजी मत-पत्र (बैलट पेपर) के युग में नहीं लौटेगा और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का ही इस्तेमाल होगा। 

अब मुसलमानों की तरफ कदम बढ़ाये भाजपा

राजीव रंजन झा : 

यदि भाजपा मानती है कि उत्तर प्रदेश में उसे कुछ मुस्लिम मत भी मिले हैं, तो अब एक-दो कदम आगे बढ़ाने की बारी उसकी है।

राजनीति छोड़ दें ईवीएम पर आरोप लगाने वाले

राजीव रंजन झा : 

जो लोग उत्तर प्रदेश के हाल के चुनावी नतीजों को ईवीएम में गड़बड़ी का कमाल मानते हैं, उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। दो कारण हैं -

तो उत्तर प्रदेश चुनाव में समाजवादी पार्टी लाई कब्रिस्तान?

अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :

जब मैंने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि ‘चुनाव के उत्सव में कब्रिस्तान और श्मशान कहाँ से ले आए मोदी जी?’, इसके बाद मेरे पास तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं। जो प्रतिक्रियाएं मेरे सवाल के साथ सहमति में आईं, उन्हें सामने रखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनकी बात तो मैं कह ही चुका हूँ, लेकिन जो प्रतिक्रियाएं असहमति में आईं हैं, उन्हें स्पेस देना भी जरूरी लग रहा है।

कांग्रेस 2019 की तैयारी करेगी उत्तर प्रदेश के चुनाव में : विनोद शर्मा

उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनावी समर के लिए कांग्रेस ने अपने सेनापतियों को सामने ला खड़ा किया है। इन नामों को चुनने के पीछे कांग्रेस की रणनीति क्या है, यह जानने के लिए देश मंथन ने बात की कांग्रेस की राजनीति पर पैनी निगाह रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा से। 

क्या संभव हैं एक साथ लोस-विस चुनाव ?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

देश में इस वक्त यह बहस तेज है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। देखने और सुनने में यह विचार बहुत सराहनीय है और ऐसा संभव हो पाए तो सोने में सुहागा ही होगा।

शुभ नहीं हैं 2016 के संकेत!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

बिहार में सबकी साँस अटकी है! क्योंकि इस चुनाव पर बहुत कुछ अटका और टिका है! राजनीति से लेकर शेयर बाजार तक सबको बिहार से बोध की प्रतीक्षा है! किसी विधानसभा चुनाव से शेयर बाजार इतना चिन्तित होगा, कभी सोचा नहीं था। लेकिन वह इस बार वह बहुत चिन्तित है। इतना कि देश की तीन बड़ी ब्रोकरेज कम्पनियों ने खुद अपनी टीमें बिहार भेजीं! मीडिया की चुनावी रिपोर्टों पर भरोसा करने के बजाय खुद धूल-धक्कड़ खा कर भाँपने की कोशिश की कि जनता का मूड क्या है? क्यों भला?

वादों से बिजली

 

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

अगर वादों, नारों से बिजली बनाना संभव होता, तो बिहार पूरे देश को बिजली सप्लाई करने जितनी बिजली बना पाने में समर्थ हो जाता। बिहार में वादे ही वादे सब तरफ से गिर रहे हैं। चुनाव आम तौर पर वादा महोत्सव होते हैं, पर बिहार विधानसभा चुनाव तो सुपर-विराट-महा-वादा महोत्सव हो लिये हैं।

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