दक्षिण की काशी कांचीपुरम – मंदिरों का शहर

0
301

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

कांची और काशी में कोई समानता है। है ना। तो कांचीपुरम यानी दक्षिण की काशी। जैसे काशी में ढेर सारे मंदिर हैं ठीक उसी तरह कांचीपुरम में भी मंदिर ही मंदिर हैं। चेन्नई सेंट्रल से कांचीपुरम की दूरी 80 किलोमीटर है। यहाँ से ट्रेन या बस से जाया जा सकता है। पर सुगम तरीका लोकल ट्रेन है। सस्ती भी अरामदेह भी। चूँकि हम चेन्नई के तांब्रम इलाके में ठहरे थे तो वहाँ से कांचीपुरम 67 किलोमीटर ही था। तांब्रम रेलवे स्टेशन भी वैसे कांचीपुरम जिले में ही आता है। मानो आधा चेन्नई शहर कांचीपुरम जिले में है। 

तांब्रम रेलवे स्टेशन के आठ नंबर प्लेटफार्म से सुबह 6.40 बजे कांचीपुरम जाने वाली पैसेजेंर ट्रेन मिली। वैसे ये चेन्नई बीच से चल कर आती है। रास्ते में चेंगालपट्ट जंक्शन आया जो बड़ा स्टेशन है। यहाँ से ट्रेन वापस उसी तरफ हो ली जिधर से आयी थी। चेंगालपट्ट से कांचीपुरम के लिए एकहरी विद्युतीकृत लाइन है। रास्ते में सहयात्रियों से बातचीत हुई। उन्हें पता चला कि कांचीपुरम घूमने जा रहे हैं तो आप कांचीपुरम ईस्ट में ही उतर जाना। स्टेशन का नाम लिखा था कांचीपुरम पूरब। हम उतर गए। यहाँ से लोगों ने बताया कि वरदराज पेरूमाल मंदिर नजदीक है। पर हमें सारे प्रमुख मंदिरों के दर्शन करने थे। सो हमने एक आटो रिक्शा बुक कर लिया। अगले कुछ घंटों के लिए। मोलभाव करके तय हुआ 350 रुपये में। आटो वाले का नाम था पन्नीर। वे हमें काफी इस बात के लिए प्रेरित करने में लगे थे कि हम किसी साड़ी फैक्टरी में साड़ियाँ देखने चलें। पर हमारी साड़ियों में रूचि नहीं थी। हम सिर्फ मंदिर देखना चाहते थे। सो हमने वरदराज पेरूमाल मंदिर चलने को कहा। 

वैसे कांचीपुरम भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में एक माना जाता है। हिन्दुओं का यह पवित्र तीर्थस्थल हजार मंदिरों के शहर के रूप में चर्चित है। आज भी कांचीपुरम और उसके आसपास 126 शानदार मंदिर देखे जा सकते हैं। कांचीपुरम वेगवती नदी के किनार बसा है। यह शहर चेन्नई से दक्षिण पश्चिम कांचीपुरम प्राचीन चोल और पल्लव राजाओं की राजधानी थी।

बात साड़ियों की करें तो कांचीपुरम अपनी रेशमी साड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है। जो कांजीवरम नाम से देश-विदेश में मशहूर हैं। ये साड़ियाँ हाथों से बुनी होती हैं। जाहिर है उच्च कोटि की गुणवत्ता होती है। इसीलिए आमतौर पर सभी तमिल संभ्रांत परिवार की महिलाओं की साड़ियों में एक तो कांजीवरम साड़ी जरूर होती है। 

कांजीवरम साड़ियों की उत्तर भारत में भी खूब माँग रहती है। पर एक कांजीवरम साड़ी आज की तारीख में 10 हजार रुपये या उससे अधिक में आती है। लिहाजा हमारी कांजीवरम साड़ियाँ खरीदने में कोई रूचि नहीं थी। पर कांचीपुरम के हर इलाके में सिल्क फैक्टरी के बोर्ड नजर आते हैं। आटो वाले एजेंट आपको इन सिल्क फैक्टरी में ले जाते हैं। अगर आप साड़ी खरीद लेते हैं तो उनका मोटा कमीशन बनता है। वैसे आप कांचीवरम साड़ियाँ अब कई आँनलाइन वेबसाइटों के माध्यम से भी खरीद सकते हैं। इसमें ठगी होने की गुंजाइश भी नहीं है।

(देश मंथन 11 दिसंबर 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें