चंपावती के नाम पर पड़ा चंबा शहर का नाम

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चंपावती के नाम पर पड़ा चंबा शहर का नाम

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

विख्यात कलापारखी और डच विद्वान डॉ. बोगल ने चम्बा को ‘अचंभा’ कहा था। उन्होंने यू हीं शहर को अचंभा नहीं कहा था। यहां के मंदिर कला संस्कृति में विविधता को देखते हुए उन्होंने अनायास ही यह उपाधि दे डाली थी। वैसे चंबा शहर का नाम चंबा के राजा के बेटी चंपावती के नाम पर पड़ा था।

राजा ने  इस शहर का नामकरण अपनी बेटी चम्पा के नाम पर क्यों किया था, इस बारे में एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाई जाती है। राजकुमारी चम्पावती बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी। राजकुमारी हर रोज  स्वाध्याय के लिए एक साधु के पास जाती थी। एक दिन राजा को किसी कारण अपनी बेटी पर संदेह हो गया। शाम को जब साधु के आश्रम में बेटी जाने लगी तो राजा भी चुपके से उसके पीछे चल पड़े। बेटी के आश्रम में प्रवेश करते ही जब राजा भी अंदर गया तो उसे वहां कोई दिखाई नहीं दिया। लेकिन तभी आश्रम से एक आवाज आई – राजा तुम्हारा संदेह निराधार है। बेटी पर शक करने की सजा के रूप में उसकी निष्कलंक बेटी छीन ली जाती है। साथ ही राजा को इस स्थान पर एक मंदिर बनाने का आदेश भी मिला।

इसके बाद राजा ने देवीय आदेश का पालन करते हुए सुंदर मंदिर का निर्माण कराया। चम्बा नगर के ऐतिहासिक चौगान मैदान के पास स्थित चंपावती मंदिर को लोग चमेसनी देवी के नाम से भी पुकारते हैं। वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर अनुपम है। इस घटना के बाद राजा साहिल वर्मा ने नगर का नामकरण राजकुमारी चम्पा के नाम कर दिया। पर यह बाद में चम्बा कहलाने लगा।

चंपावती मंदिर में शक्ति की देवी महिषासुर मर्दिनी की सुंदर प्रतिमा है। मंदिर परिसर में कई खूबसूरत पत्थर की मूर्तियां दीवारों में स्थापित की गई हैं। 

विशाल मैदान है चौगान

चंपावती मंदिर के सामने विशाल मैदान है जिसे चौगान कहते हैं। यह चंबा शहर का विशाल मैदान है। मैदान के नीचे रावी नदी बहती है, जबकि मैदान के ऊपर शहर बसा है। आप यूँ मान सकते हैं कि पूरा चंबा शहर चौगान के चारों तरफ बसा है। चौगान चंबा शहर का दिल है। लोग सुबह से शाम यहाँ टहलने और टाइम पास करने के लिए आते हैं। 

चंबा का ऐतिहासिक चौगान मैदान

किसी समय में चौगान एक विशाल मैदान था। पर बाद में इसे पाँच हिस्सों में बांट दिया गया है। मुख्य मैदान के अलावा अब चार छोटे-छोटे मैदान हैं। चौगान मैदान में ही हर साल जुलाई में चंबा का प्रसिद्ध मिंजर मेला लगता है। यह चंबा की लोककलाओं को पेश करने वाला मेला है। मिंजर मेले के समय चंबा मेंदूर दूर से सैलानी पहुँचते हैं।

हरिराय मंदिर

चंबा मैदान के एक कोने में हरिराय मंदिर स्थित है। यह भगवान विष्णु का सुंदर मंदिर है। यह मंदिर भी पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। मंदिर के बगल में चौगान मैदान का लाल रंग का सुदंर प्रवेश द्वार है। चौगान मैदान में एक विशाल मिलेनियम गेट का भी निर्माण कराया गया है। चौगान का एक किनारा लंबाई में रावी नदी के साथ मिलता है। यहाँ दो झरोखे बनाये गये हैं, जहाँ बैठ कर आप रावी नदी की कल-कल बहती जलधारा का मुआयना कर सकते  हैं। यहीं पर एक रावी कैफे भी है। चौगान के एक तरफ हिमाचल टूरिज्म का इरावती होटल स्थित है, जो चंबा शहर का प्रमुख होटल है।

(देश मंथन 19 जुलाई 2016)

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