मैं आजमगढ़ से हूँ, मेरा शहर अब वो नहीं रहा

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पीयूष श्रीवास्तव, पत्रकार : 

मैं, आजमगढ़ से हूँ, इस शहर ने मुझे जिंदगी के कठिन रास्तों पर चलना सिखाया। आज जो कुछ भी हूँ इस शहर की वजह से ही हूँ।

कल जब अमित शाह ने कहा कि आजमगढ़ आतंकवादियों का गढ़ बन गया है, तो एक बार तो मेरा भी खून खौला। लेकिन फिर मुझे अपना हालिया आजमगढ़ का दौरा याद आ गया। कुछ दिनों पहले मेरा आजमगढ़ में अपने गाँव जाना हुआ। रास्ते में एक गाँव पड़ता है सरायमीर, ये अबू सलेम का गाँव है। सरायमीर पहुँच कर मैं बरबस ही रुक गया। रास्ते में एक चाय की दुकान पर रुका जो किसी यादव जी की थी। वहाँ लोगों को बात करते सुना कि सरायमीर तो अब पाकिस्तान बन चुका है, अब मोदी आयें तभी कुछ हो पाये।

ये सुन कर मैं चौंका और मेरे सवाल करने पर पहले तो इन लोगों ने मेरा नाम पूछा, जब वे निश्चिंत हो गये कि मैं हिंदू हूँ तब खुल कर बोले कि इस गाँव की गलियों तक में पुलिस जाने से डरती है हर दूसरे घर में एक-47 मिल जायेगी। मुझे बड़ा अजीब लगा, और इस बात पर मैं कम से कम यकीन नहीं कर सकता। लेकिन इसके बाद उन लोगों ने कुछ ऐसी बाते बतायीं जो कि मैं सोशल मीडिया पर शेयर नहीं कर सकता, लेकिन इन बातों ने मेरे मन में एक डर जरूर पैदा कर दिया। कल अमित शाह को सुनने के बाद ये डर और गहरा हो गया है।

पता नहीं ये इत्तेफाक है या कुछ और लेकिन नीचे लगी चारों तस्वीरें मुझे दिल्ली के एक मेट्रो स्टेशन पर लगी दिखीं। चारों लड़के इंडियन मुजाहिद्दिन के आतंकवादी हैं और विडंबना ये है कि ये चार के चारों आजमगढ़ से हैं। मेरा शहर यकीनन अब वो नहीं रहा जैसा आज से 20 साल पहले हुआ करता था।

(देश मंथन, 05 मई 2014)

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