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हवा पर इन दिनों हवा-हवाई तरीके से ना बोला जा सकता। एक बस स्टैंड पर मैं खड़ा था, बारिश का सीन था, हवा चल रही थी। मैंने ऐवैं ही कह दिया - हवा बहुत तेज चल रही है।
दूसरों की प्रेम कहानी सुनना बहुत आसान होता है, लेकिन अपनी प्रेम कहानी सुनाना मुश्किल। मैं तमाम लड़कियों को जानता हूँ, जो अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार और रवि शास्त्री जैसों से अपने लगाव की कहानी तो सुना देती हैं, लेकिन सामने वाले घर के 'ही मैन' की चर्चा करने में पसीने छूट जाते हैं।
लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया के बीच में लगातार नये खुलासे हो रहे हैं और इस कडी में ताजा विस्फोट किया है प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने।
कांग्रेस, सपा, बसपा, जेडीयू, आप... सभी मुस्लिम वोट बैंक की लड़ाई लड़ रहे हैं। इत्तेफाक है कि सभी लड़ने वालों के पास इस वोट बैंक पर कब्जा करने का फार्मूला एक ही है।
उसे सोना था। उसे उठ कर फिर सुबह की भागदौड़ में शरीक होना था। वह देर रात घर आया। आते ही उसे सो जाना था, क्योंकि सुबह समय पर जगना ही था। लेकिन सोने से पहले उसने देखा कि बिस्तर ठीक नहीं है।
यह महज संयोग है या नरेंद्र मोदी और उनकी टीम का सोचा-समझा प्रचार, कहना मुश्किल है। मगर राहुल गांधी ने करीब साल भर पहले सीआईआई में अपने भाषण में जिस तरह से घोड़े पर किसी राजकुमार के आने की बात कही थी, बिल्कुल उसी अंदाज में एक सफेद घोड़े पर सवार नरेंद्र मोदी का चित्र सामने आया है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व महागठबंधन में नया घमासान शुरू हो गया है। महागठबंधन में राजद नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किये जाने पर महागठबंधन के दो सहयोगी दलों - राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने आवाज उठायी है।
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए में जबरदस्त रार मची हुई है। बिहार में एनडीए में कुल चार दल भाजपा, जदयू, लोजपा और हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल पिछले चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा बन कर लड़ने वाली जदयू के गठबंधन से निकल जाने के बाद अब शेष बड़े दल राजद और कांग्रेस इस बार ज्यादा-से-ज्यादा सीटें अपने पास रखने के पक्ष में हैं।
कोरोना की श्रृंखला तोड़ने की लड़ाई हम उसी दिन हार गये थे, जब दिल्ली में हजारों-लाखों मजदूरों की भीड़ को उत्तर प्रदेश की बस चलने के नाम पर आनंद विहार में जुटा दिया गया था।