यमराज की सेल्फी

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आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :   

सावित्री परेशान थी कि हाय सत्यवान की जान कैसे बचेगी। यमराज आयेंगे, तो सत्यवान के प्राण लिये बगैर तो ना मानेंगे। यमराज की ड्यूटी-पराणयता की बात तो जगत में सबको ज्ञात थी।

पर यमराज की यह ख्याति स्मार्ट-फोनों के आगमन से पहले की थी।

खैर यमराज आये मौका-ए-ड्यूटी पर, नये दौर के टैक-सैवी यमराज के हाथ में एकदम नयी चाल का स्मार्ट-फोन होना तो स्वाभाविक था। यमराज के भैंसे के पास भी एक बहुतै स्मार्ट-फोन था।

पतिव्रता सावित्री बहुत ही तीक्ष्ण बुद्धि की थी, वह यमराज का स्मार्टपना भांप गयी।

यमराज ने भैंसे से उतरते ही सबसे पहला काम यह किया कि फेसबुक पर स्टेटस अपडेट किया-सावित्री के यहां पहुंच गया। साथ में एक फोटू भी अपलोड किया, जो आसपास के नजारे का था।

पच्चीस फोटू अपलोड करने के बाद के बाद यमराज ने मौका-ए-ड्यूटी का जायजा लेना शुरू किया। कुल मिलाकर यह समझ में आया कि यमराज की पहली ड्यूटी यही होती है कि कहीं भी पहुंचकर वहाँ के फोटू लेकर अपना फेसबुक स्टेटस अपडेट करें।

यमराज के भैंसे ने भी पास के तालाब में नहाती हुए भैंसों के फोटू लिये, उनमें से एक फोटू को अपडेट किया, नीचे लिखा-क्यूट भैंसेज इन स्विमिंग पूल इन मृत्युलोक। फिर भैंसे ने अपने कई सेल्फी-फोटू लिये फिर कई भैंसों के फोटू खींचे।

स्टेटसबाजी करने के बाद यमराज को ड्यूटी की याद आयी, कहा-चल भई भैंसे लग ले काम पर। मैं प्राण हरता हूँ सत्यवान के।

पर प्राण-हरण भी सेल्फी-फोटू के बगैर कैसे हो सकती है जी।

यमराज ने प्राण हरने का एक्शन किया, तो फौरन एक सेल्फी लेकर फेसबुक-स्टेटस पर अपलोड की, नीचे लिखा-यमराज सत्यवान के प्राण हरते हुए।

भैंसा भी अड़ गया कि इस मौके पर मेरे एक्शन की भी एक सेल्फी होनी चाहिए।

यमराज ने डपटा-काम में ध्यान ना है तेरा, सेल्फी-अपडेट की सूझ रही है तुझे।

भैंसा हंसने लगा-सर आप क्या किसी और चीज का ध्यान कर रहे हैं।

इस पूरे स्टेटसबाजी-सेल्फीचक्रम में शेड्यूल के आगे तीस मिनट निकल लिये थे।

यमराज झेंपे, फिर सत्यवान के प्राण हरने की एक और सेल्फी लेने लगे।

सावित्री ने निवेदन किया-जी इतनी शानदार सेल्फी ली हैं आपने, अपडेट करने से पहले मुझे दिखाइये। मुझे फोटोशाप का गहन ज्ञान है, इन सेल्फी-फोटुओँ को मैं बहुत शानदार तरीके से एडिट करुंगी। फिर आप इन सेल्फी- फोटुओं में बहुत कर्मठ-स्मार्ट दिखेंगे।

यमराज स्मार्ट दिखने के लालच में आ गये।

फिर सावित्री ने भैंसे से कहा-भईया, दूर से ही क्यों देख रहे हो भैंसों को, जाओ ना करीब से उनके फोटू लेकर आओ। जाओ, जाओ, प्लीज जाओ ना।

भैंसे ने सावित्री के अनुरोध को फौरन स्वीकार कर लिया।

उधर सावित्री ने सेल्फी-फोटू एडिट करने में दो घंटे लगा दिये। सत्यवान के प्राण-हरण का तय-टाइम ढाई घंटे पहले ही बीत चुका था।

फिर भैंसा भी जिद पर अड़ गया कि मेरे फोटू भी सावित्रीजी कायदे से एडिट करेंगी।

सावित्री ने फिर भैंसे की फोटुएं एडिट कीं।

घड़ी देखकर यमराज हड़ब़ड़ाये-ओय, ये तो बहुत देर हो गयी, चलो मैं निकलता हूँ सत्यवान के प्राण लेकर।

सावित्री बोली-महाराज, कुछ तो लिहाज करें, सर्विस-मैनुअल का, प्राण हरण का समय बारह बजे था, अब करीब पांच बजा चाहते हैं। प्राण-हरण के समय में इतना विलंब यमराज सर्विस रुल्स के खिलाफ है।

हड़बड़ाये यमराज बोले-जी मैं इंडियन यमराज हूँ। इंडियन यमराज को थोड़ी-बहुत लेटलतीफी परमिट की जाती है। इसलिए मैं लेट ही सही, पर सत्यवान के प्राण लेकर ही जाऊंगा।

सावित्री ने उन्हे यमराज सर्विस बुक दिखा दी-जिसमें लिखा था कि इंडियन यमराज भी अधिक से अधिक एक घंटे की देर कर सकता है। इसके बाद की देरी अमान्य होगी।

यमराज ने स्टेटसबाजी-सेल्फीबाजी में ही टाइम गवां दिया और इसके बदले उन्हे सत्यवान के प्राण बख्शने पड़े।

इस तरह से अपने चातुर्य से सावित्री ने सत्यवान के प्राण बचा लिये।

इसके बाद ड्यूटी में कोताही के आरोप में यमराज और उनके भैंसे से स्मार्ट-फोन जब्त कर लिये गये हैं।

खबर हैं कि अब यमराज मृत्यु-लोक में बगैर स्मार्ट-फोन के ही आते हैं।

जैसी चतुरता सावित्री ने दिखायी है, वैसी ही सब सुहागिनों को पति-रक्षा में हमेशा सूझे। 

(देश मंथन,  11 अप्रैल 2017)

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