Sunday, March 17, 2024
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द कश्मीर फाइल्स : विवेक अग्निहोत्री ने उठा दी झूठ की दुकान

विवेक अग्निहोत्री की सफलता यही है कि उन्होंने विमर्श की दिशा मोड़ दी। उन्होंने बस दर्द को जस-का-तस परोस दिया, जो इतने वर्षों से झेलम नदी में कश्मीरियत की हरी काई के नीचे दबा था और अब वह दर्द बह कर नीचे उस मैदान में आ गया है, जहाँ तक आने से लिबरल जमात उसे रोक रही थी!

किसानों की आमदनी दोगुनी करने में कितना योगदान कर सकेगा बजट 2022?

क्या किसान की आमदनी 100 से बढ़ा कर 200 रुपये करने के लिए उपभोक्ता का खर्च 400 से बढ़ा कर 800 रुपये किया जाना ऐसा विकल्प है, जिसे लोग पसंद करेंगे? क्या आप तैयार हैं कि जो आटा 40 रुपये किलो खरीदते हैं, उसे 80 रुपये में खरीदने लगें और जो दाल 100 रुपये किलो खरीद रहे हैं, उसे 200 रुपये में खरीदने लगें? क्या किसानों की आमदनी दोगुनी करने का मतलब यह है कि खाद्य महँगाई भी दोगुनी हो जायेगी?

सिंघु बॉर्डर : लखबीर सिंह हत्याकांड, एक चुप्पी के बीच कई प्रश्न?

एक दलित को निहंगों द्वारा मारे जाने पर सभी मौन बैठे हैं। वे विरोध नहीं कर रहे, सड़कों पर नहीं निकल रहे और न ही लखीमपुर खीरी जैसी बहसें कर रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर हत्या भी है और उसमें दलित भी है। और इतना ही नहीं, उसमें निर्ममता की पराकाष्ठा है।

एडीजे उत्तम आनंद की हत्या : ढाई माह में ढाई कदम पर अटकी जाँच

जाँच में सीबीआई की टीम वहीं अटकी हुई है, जहाँ पुलिस ने जाँच शुरू की थी। इस बीच सीबीआई ने वैज्ञानिक जाँच का सहारा लिया। रहस्य की जानकारी देने वाले को पहले पाँच लाख तथा बाद में दस लाख रुपये का ईनाम देने के इश्तेहार चिपकाये गये। झारखंड उच्च न्यायालय भी अब तक की जाँच से संतुष्ट नहीं है। अब सीबीआई की ताक-झाँक कोयलांचल के चर्चित घरानों में शुरू हुई है।

धुआँ-धुआँ बॉलीवुड एक दिन धुएँ में खो जायेगा

यह पूरा देश देख रहा है कि कैसे एक नशेड़ी को बचाने के लिए उसे बच्चा घोषित करने की होड़ लगी हुई है। क्या एक 24 साल का युवक बच्चा हो सकता है? क्या कारण है कि बॉलीवुड हमेशा ही उन लोगों के पक्ष में आ जाता है, जो आपराधिक कृत्य करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की कमला हैरिस के साथ बातचीत ही ज्यादा महत्वपूर्ण

बारीकियों वाली बातें कमला हैरिस के साथ हुई हैं। खास तौर से इसलिए, कि कमला हैरिस एक तो अपने देश की पहली महिला उपराष्ट्रपति तो हैं ही, ऐसा लगता है कि संभवत: आगे जाकर कभी वे अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति भी बन सकती हैं। वे भारतीय मूल की हैं, तो और भी इन बातों का महत्व था।

नीरज चोपड़ा की जीत पर लिबरल समाज दुखी क्यों हुआ?

वामपंथियों को नीरज चोपड़ा से ही इतनी नफरत क्यों हो रही है? वह इसलिए क्योंकि नीरज चोपड़ा और मीराबाई चानू जैसे लोग उनके वह मिथक तोड़ रहे हैं, जो वह इतने वर्षों से गढ़ते हुए आ रहे थे।

फिर से चर्च में यौन स्कैंडल और फिर से चुप्पी!

हालाँकि अब निथिराविलाई पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हो गया है और आरोपी जेल में है। यह ठीक है कि मामला दर्ज हो गया है, पर प्रगतिशीलों की वाल पर शांति है। मंदिर के भक्त की किसी गलत हरकत पर मंदिर को कोसने वाली प्रगतिशील जमात पादरी के ही सेक्स स्कैंडल में पकडे जाने पर चुप है, कोई हल्ला नहीं है।

भारत का कानून न मानने की औपनिवेशिक जिद

कार्ल रॉक एक विदेशी है, जो टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था। उसने हरियाणा में शायद एक राजनीतिक परिवार में शादी की है। वह यहाँ वीडियो बना कर यूट्यूब पर डाल करके पैसे भी कमा रहा है। पर वह एक और काम कर रहा था। वह भारत की चुनी हुई सरकार का विरोध कर रहा था।

मनसुख मांडविया की अंग्रेजी का उपहास करती गुलाम मानसिकता

औपनिवेशिक मानसिकता उन लोगों की है, जो केवल अंग्रेजी भाषा की जानकारी को ही ज्ञान का पर्याय मानते हैं। वे दरअसल ईसाई मानसिकता से बाहर नहीं आ पाये हैं, स्वतंत्र नहीं हो पाये हैं। वे इस बात को स्वीकार कर ही नहीं पाये हैं कि देशज भाषा भी शासन का पर्याय हो सकती है।

हिस्से में माँ आयी तो फिर जायदाद विवाद कैसा?

पहले “माँ” शब्द को बेचने वाले मुनव्वर राना अब नागरिकता संशोधन के दौरान लखनऊ में बेटियों द्वारा किये गए विरोध के पीछे खड़े हैं। वे कह रहे हैं कि पुलिस उन्हें इसलिए फँसा रही है, क्योंकि उनकी बेटियों ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन किया था। अभी तबरेज फरार है और मुनव्वर राना के भाई इस बात का शुक्र मना रहे हैं कि सच का पता चला, नहीं तो वे सब फंस जाते।

झूठ के सहारे हिंदुओं को असहिष्णु दिखाने की कोशिश

देश के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह की घटनाओं की खबर आती है और उसमें जोड़ दिया जाता है बाद में कि इस कारण से घटना हुई। उस घटना का जय श्रीराम के नारे से कोई संबंध नहीं होता, लेकिन जोड़ा जाता है। कांग्रेस से लेकर तमाम विपक्षी दल इस तरह की राजनीति को बढ़ावा देना चाहते हैं, इस तरह के मुद्दे या विचार को खड़ा करना चाहते हैं। तो षड़यंत्र क्या है? षड़यंत्र दो तरह के हैं।
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शमशेरा : हिंदू घृणा और वामपंथी एजेंडा से भरी फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया

शमशेरा हिंदू घृणा से सनी ऐसी फिल्म है, जिसका साहित्य में परीक्षण हुआ, जैसा कि फर्स्ट पोस्ट आदि पर आयी समीक्षाओं से पता चलता है, और फिर बाद में परदे पर उतारा गया। परंतु जैसे साहित्य में फर्जी विमर्श को रद्दी में फेंक कर जनता ने नरेंद्र कोहली को सिरमौर चुना था, वैसे ही अब उसने आरआरआर एवं कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों को चुन लिया है और शमशेरा को गड्ढे में फेंक दिया है!

नेशनल हेराल्ड मामले का फैसला आ सकता है लोकसभा चुनाव से पहले

ईडी ने तो एक तरह से मामले को छोड़ दिया था। ईडी की पकड़ में यह मामला तब आया, जब कोलकाता में हवाला कारोबार करने वाली एक शेल कंपनी के यहाँ एजेएल और यंग इंडिया की हवाला लेन-देन की प्रविष्टि (एंट्री) मिली, और उसके तार ईडी की जाँच में गांधी परिवार तक गये। इसलिए गांधी परिवार से पूछताछ के बिना चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकती है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछताछ हो चुकी है और अब सोनिया गांधी से पूछताछ हो रही है।

पाकिस्तान में बढ़ती शर्मनाक घटनाएँ, फिर भी पश्चिमी देशों का दुलारा पाकिस्तान

अमेरिका की एक व्लॉगर पाकिस्तान में विषय में वीडियो बनाती थी। उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है और बलात्कार करने वाले उसके अपने वही दो दोस्त हैं, जिनके बुलावे पर वह पाकिस्तान आयी।

लिबरल खेमा वैश्विक उथल-पुथल से प्रफुल्लित क्यों है?

उनके हर्ष का विषय तीन वैश्विक घटनाएँ हैं। पहली है यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का इस्तीफा, दूसरी घटना है जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या और तीसरी सबसे महत्वपूर्ण घटना है श्रीलंका का दीवालिया होना और राष्ट्रपति आवास पर आम जनता का नियंत्रण होना!
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