मोदी लहर से मुक्त मध्य प्रदेश

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अनिल सौमित्र, स्वतंत्र पत्रकार :

देश में जितनी और जैसी राजनीतिक सरगर्मी है, मध्य प्रदेश में नहीं है। मध्य प्रदेश में विधान सभा का चुनाव जरूर आर-पार का था, लेकिन लोक सभा के लिए चुनावी माहौल वैसा नहीं है।

भाजपा के लिए तब जैसा शिवराज लहर था, आज वैसा मोदी लहर दिखायी नहीं दे रहा। कांग्रेस कड़े मुकाबले का दावा जरूर कर रही है, लेकिन उसके नेता और कार्यकर्ता मनोवैज्ञानिक दबाव में हैं। विधान सभा की करारी हार से उनके लिए उबर पाना इतना आसान नहीं है।

कांग्रेस के कई दिग्गज भाजपा के पाले में आ चुके हैं। कांग्रेसी नेताओं के पाला बदलने का जो सिलसिला विधान सभा में उपनेता प्रतिपक्ष चैधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी से शुरू हुआ था वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। विधान सभा चुनाव के दिनों में ही होशंगाबाद के कांग्रेसी सांसद राव उदय प्रताप ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। वे होशंगाबाद से भाजपा के उम्मीदवार हैं। भिंड से कांग्रेस ने पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डाॅ. भागीरथ प्रसाद को टिकट दिया। वे पिछले चुनाव में भी कांग्रेस के उम्मीदवार थे। लेकिन इस बार टिकट मिलने के एक दिन बाद वे भाजपा के सदस्य बन गये और आज वे भाजपा के उम्मीदवार हैं। कांग्रेस का नेतृत्व राजनीतिक सदमे से उबर पाता इसके पहले ही उसके एक और विधायक ने पार्टी छोड़ दी। कटनी से कांग्रेस के विधायक संजय पाठक अब भाजपा के नेता हो गये हैं। पिछली लोकसभा में मध्य प्रदेश से भाजपा के 16 कांग्रेस के 12 और एक बसपा सांसद थे। प्रदेश में सियासत का रंग हर दिन बदल रहा है। मध्य प्रदेश में सांसदों की दलगत सूची गडमड हो गयी है। 16 वीं लोकसभा की सूची बहुत बदली हुई होगी।

देश की 543 लोकसभा सीटों में 29 मध्य प्रदेश में हैं। नौ सीट आरक्षित है, जबकि 20 सामान्य। आरक्षित सीटों में अनुसूचित जाति के लिए 4 और अनुसूचित जनजाति के लिए 5 है। गत विधानसभा चुनाव में प्रदेश के कुल 4,64,47,767 मतदाताओं में से 72.58 प्रतिशत ने मतदान किया। ताजा आँकड़ों के अनुसार लोकसभा के लिए 4,75,56,564 मतदाता मतदान करेंगे। 15 वीं लोकसभा चुनाव के लिए मध्य प्रदेश में 38390101 मतदाता थे। पिछले चुनावों में मतदान का इतिहास यह बताता है कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा की अपेक्षा मतदान प्रतिशत कम ही होता है।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में 29 सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान होगा। बालाघाट, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, जबलपुर, मंडला, रीवा, सतना, शहडोल और सीधी में 10 अप्रैल को मतदान हो चुका है। 17 अप्रैल को होने वाला दूसरे चरण का मतदान दस लोकसभा क्षेत्र – भिंड, भोपाल, दमोह, गुना, ग्वालियर, खजुराहो, मुरैना, राजगढ़, सागर और टीकमगढ़ में होगा। इसी प्रकार तीसरे चरण में 24 अप्रैल को शेष बचे दस लोकसभा क्षेत्रों – बैतूल, देवास, धार, इंदौर, खंडवा, खरगोन और मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, और विदिशामें होगा। अगर राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सीटों की बात की जाय तो प्रथम चरण में होने वाले मतदान में जहां छिंदवाड़ा में कांग्रेस के दिग्गज केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के भविष्य का फैसला होना है, वहीं दूसरे चरण में दमोह से भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, ग्वालियर में मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर और गुना से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर है। तीसरे चरण के लिए 24 अप्रैल को मतदान होगा। इस दिन इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन, खंडवा से मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरूण यादव, रतलाम से मध्यप्रदेश के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और विदिशा से लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज का राजनीतिक भविष्य ईवीएम में कैद हो जायेगा।  

बहरहाल, चाहे चुनावी सर्वेक्षणों के आधार पर आंकलन करें या बीते चुनावी परिणामों के आधार पर निष्कर्ष निकालें, एक बात साफ है कि 16 मई को भाजपा लोकसभा में सबसे बड़े दल के रूप् में उभरेगी। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रहेगी। यही स्थिति मध्य प्रदेश में भी रहने वाला है। हालाँकि भाजपा पर कमजोर उम्मीदवार देने का आरोप लग रहा है, लेकिन मतदान के वक्त मोदी लहर पर सवारी कर भाजपा 16 से अधिक सीटें जीतने कामयाब हो जायेगी यह आम चर्चा है। विधान सभा चुनाव में बसपा, सपा जैसे अन्य दलों को उल्लेखनीय सफलता नहीं मिल पायी। राजनीतिक विश्लेषक आम आदमी पार्टी को कोई खास तवज्जो नहीं दे रहे। आम आदमी पार्टी के उम्मदवारों में अधिकतर एनजीओ पृष्ठभूमि के ही हैं। मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी जितना भी वोट प्राप्त करेगी उससे कांग्रेस का ही नुकसान होने की संभावना है। टिकट तय करने में देरी. कुछके सांसदों को टिकट काटना और कुछ सांसदों का क्षेत्र बदलना भाजपा के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

हालाँकि इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खुलकर मैदान में होने का लाभ भाजपा को जरूर मिलेगा। संघ भले ही खुलकर किसी के पक्ष में प्रचार नहीं कर रहा है, लेकिन अधिकतम मतदान के लिए चलाये जा रहे अभियान का लाभ भी भाजपा उम्मीदवारों को ही मिलना है। स्थानीय भाजपा नेता मोदी फैक्टर के साथ ही शिवराज फैक्टर का भी हवाला दे रहे हैं। विधान सभा चुनाव में भाजपा के अव्वल प्रदर्शन से भाजपा कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं। विधान सभा चुनाव में प्राप्त मत और सीटों के आधार पर भाजपा 29 में से 20 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रही है। कांग्रेस कोई बड़ी दावेदारी तो नहीं कर रही है, लेकिन उसके नेता यह मानकर चल रहे हैं कि लोक सभा में उनका प्रदर्शन विधान सभा से बेहतर होगा। लेकिन बड़ा सवाल भाजपा के लिए है। क्या भाजपा सेमीफाइनल की तरह फायनल में भी प्रदर्शन कर पायेगी, क्योंकि भाजपा को केन्द्र में सरकार बनाने के लिए एक-एक सांसद के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी। मध्य प्रदेश से भाजपा नेतृत्व काफी उम्मीदें हैं।

(देश मंथन, 16 अप्रैल 2014)

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