सन 42 की क्रांति और पटना के वे सात शहीद

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:  

स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में युवाओं के जोश को जब जब याद किया जाएगा तब तब पटना के उन सात शहीदों के बिना चर्चा अधूरी रहेगी।

ये सातों स्कूली छात्र थे जो गाँधी जी के करो या मरो के ऐलान के बाद 11 अगस्त 1942 को पटना में सचिवालय पर तिरंगा फहराने निकले थे। पर ब्रिटिश फौज की गोलियों ने उनकी सीना छलनी कर दिया।  

ये सभी नौजवान स्कूली छात्र थे। सबकी उम्र 18 से 20 साल के आसपास थी। पर मुंबई में बापू के अंग्रेजों भारत छोड़ो के आह्वान के बाद उनके खून में उबाल आ गया। वे तिरंगा लेकर निकल पड़े पटना की सड़कों पर। लक्ष्य था सचिवालय पर यूनियन जैक को उतार कर तिरंगा लहरा देना। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। सीने में कई गोलियाँ लगी और वे गिरते चले गये। पटना में बिहार सरकार के पुराना सचिवालय के सामने गोलंबर (राउंड अबाउट) के बीच में इन सात शहीदों की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है। 1979 में छुटपन में पिताजी के साथ पटना गया तो पिताजी ने शहीद स्मारक दिखाया था।

ये प्रतिमाएं इस तरह से लगी हैं मानो लगता है कि वे अभी भी उठ पड़ेंगे और जाकर तिरंगा लहरा देंगे। हालांकि ये 1942 के ये सातो शहीद पाँच साल देश को मिली आजादी की सुबह नहीं देख सके। पर उनके जैसे तमाम शहीदों के कारण ही हम आजाद हवा में साँस लेने के काबिल हो सके। इस शहीद स्मारक उन सात लीडरों की आदमकद प्रतिमाएं हैं जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में अपने प्राण दिये थे। वास्तव में यह स्मारक उन निडर नायकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता दिखाने के लिए बनाया गया है।

बिहार के पहले राज्यपाल जयरामदास दौलतराम ने 15 अगस्त 1947 को स्मारक की नींव रखी थी। सन 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के समय विधान सभा भवन के ऊपर भारतीय तिरंगा फहराने के प्रयास में मारे गए पटना के इन शहीदों को याद रखने के लिए शहीद स्मारक बिहार विधान सभा के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने बना गया है।  पटना के स्कूलों से आजा़दी की लड़ाई में जान देनेवाले सात शहीदों के प्रति यह विनम्र श्रद्धांजलि है।

प्रख्यात मूर्तिकार देवी प्रसाद रायचौधरी द्वारा इन भव्य आदमकद मूर्तियों को इटली में बनाकर यहाँ लगाया गया था। राय चौधरी का जन्म रंगपुर ( अब बांग्लादेश ) में हुआ था। मूर्तिकला में उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें 1958 में पद्म भूषण ने नवाजा गया। देश भर में उनके द्वारा सृजित कई मूर्तियों में से पटना का शहीद स्मारक भी एक है। इन मूर्तियों का औपचारिक अनावरण देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद द्वारा 1956 में हुआ। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान बिहार में 134 लोग शहीद हुए थे। कुल 15 हजार से गिरफ्तारियाँ हुई थीं।

कौन थे ये थे सात शहीद

11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय में ये स्कूली छात्र तिरंगा फहराने का इरादा लेकर पहुंचे थे।  इन सात शहीदों के नाम उमाकांत प्रसाद सिंह, रामानंद सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगतपति कुमार।

1. उमाकांत प्रसाद सिंह : राम मोहन राय सेमिनरी में नौंवी कक्षा के छात्र थे। नरेंद्रपुर सारण के रहने वाले थे।

2. रामानंद सिंह : राम मोहन राय सेमिनरी में नौंवी कक्षा के छात्र थे। शहादत नगर पटना के निवासी थी।  

3. सतीश प्रसाद झा :  पटना कालेजियट स्कूलम  कक्षा दस के छात्र थे। खडहरा भागलपुर के रहने वाले थे।

4. जगतपति कुमार  : बीएन कालेज ( बिहार नेशनल कालेज ) के सेकेंड इयर के छात्र थे। खराती औरंगाबाद के रहने वाले थे।

5. देवीपद चौधरी : मिलर हाईस्कूल पटना में नौंवी कक्षा के छात्र थे। वे सिलहट जमालपुर के रहने वाले थे।

6. राजेंद्र सिंह : पटना इंगलिश हाई स्कूल में दसवीं कक्षा के छात्र थे। बनवारी चक, सारण जिला के रहने वाले थे।

7. रामगोविंद सिंह : पुनपुन हाईस्कूल में नौंवी कक्षा के छात्र थे। वे पटना जिले के दसरथ गाँव के रहने वाले थे।

(देश मंथन,  31 मार्च 2017)

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